
रायगढ़/तमनार।ग्राम बड़गांव पंचायत के भैसगढ़ी निवासी गुरुदयाल मालाकार के पुत्र हिमेश मालाकार ने हाल ही में मौत को मात देकर नई जिंदगी हासिल की है। जहरीले सांप के काटने के बाद उनकी हालत गंभीर हो गई थी। परिजनों ने तत्काल उन्हें मेडिकल कॉलेज रायगढ़ में भर्ती कराया, जहाँ तीन दिनों तक कोमा में रहने के बाद उन्होंने जिंदगी की सबसे कठिन लड़ाई जीत ली।

इस मुश्किल घड़ी में मेडिकल टीम की तत्परता और मानवीय संवेदनशीलता जीवनदायिनी साबित हुई। उपचार में जुटे डॉ. उरांव, डॉ. नायक और रेडक्रॉस सदस्य मुकेश शर्मा ने अपने अनुभव और त्वरित निर्णय से इलाज की दिशा तय की। उनकी सटीक चिकित्सा, निरंतर निगरानी और मानवीय व्यवहार के चलते हिमेश की हालत धीरे-धीरे सुधरती गई। परिवार ने मेडिकल टीम को ईश्वर के समान बताया और उनके समर्पण की सराहना की।

नागरिक सुरक्षा सेवा संगठन ने किया सम्मान
घटना की जानकारी मिलते ही नागरिक सुरक्षा सेवा संगठन के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष रेंशी श्याम गुप्ता स्वयं अस्पताल पहुँचे। उन्होंने हिमेश के परिजनों का हाल जाना और मेडिकल टीम को धन्यवाद दिया। गुप्ता ने कहा —
“डॉ. उरांव, डॉ. नायक और रेडक्रॉस के मुकेश शर्मा ने जिस संवेदनशीलता और प्रोफेशनल कुशलता का परिचय दिया है, वह पूरे समाज के लिए प्रेरणा है। ऐसे लोग ही मानवता की असली नींव हैं।”
गुप्ता ने बताया कि संगठन की ओर से पूरी टीम को “सेल्यूट” करते हुए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आपात स्थितियों में मेडिकल स्टाफ की तत्परता से अनगिनत जानें बचाई जा सकती हैं, इसलिए हर नागरिक को भी ऐसे समय में सहयोग करना चाहिए।
मानवता की मिसाल बना भैसगढ़ी गांव
रेडक्रॉस प्रभारी मुकेश शर्मा, मेडिकल कॉलेज रायगढ़ के चिकित्सक डॉ. उरांव और डॉ. नायक समेत पूरे नर्सिंग स्टाफ को नागरिक सुरक्षा सेवा संगठन ने “मानवता के रक्षक” की उपाधि दी है।
भैसगढ़ी गांव का यह मामला इस बात का प्रमाण है कि जब चिकित्सा सेवा में संवेदनशीलता और समर्पण जुड़ जाए, तो जीवन की सबसे कठिन लड़ाई भी जीती जा सकती है। हिमेश मालाकार की स्वस्थ वापसी ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे क्षेत्र में नई उम्मीद जगा दी है।